भारत में चुनाव सुधार: एक राष्ट्र एक चुनाव के संदर्भ में
Main Article Content
Abstract
यह हमारा सौभाग्य है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है, और हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में जाने जाते है। निःसंदेह भारत में लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरायी तक फैली हुयी है। लेकिन हमारे लोकतंत्र की कुछ खमिया भी है। क्षरण, प्रकृति का नियम है, इसलिए हमारे लोकतंत्र में समय के साथ-साथ कुछ ऐसी चीजे भी आ गई है जिनके कारण लोकतंत्र से हमारा भरोसा कभी-कभी उठने लगता है। ऐसा तब होता है जब लोकतंत्र की नहीं, बल्कि व्यवस्था की है। इससे जुड़े लोगों की है। चुनाव या निर्वाचन लोकतंत्र का आधार कहा जाता है जिसके द्वारा जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है एवं उन्हें सत्ता सौंप देती है। यहां चुनावों को ‘महोत्सव’ की संज्ञा दी जाती है। दुर्भाग्यवश आज हमारी चुनाव प्रक्रिया में कुछ खामिंया पाई गई हैं जिसके कारण लोकतंत्र का अस्तित्व भी कभी-कभी खतरे में लगता है। वस्तुतः भारतीय चुनाव प्रक्रिया में सुधार किए बगैर लोकतंत्र की रक्षा करना संभव है क्योंकि निष्पक्ष एवं स्वच्छ चुनावों के बिना न तो लोकतंत्र का कोई अर्थ और न ही उसकी कोई उपयोगिता।